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लेखनी प्रतियोगिता -05-Oct-2022 विजय दशमी

विजयदशमी के पावन पर्व पर सबको हार्दिक शुभकामनाएं 

दोहे 

क्रोध लोभ मद मोह सुन इनसे महाविनाश । 
काम, वासना, ईर्ष्या, द्वेष करते सत्यानाश  ।। 

नवां दोष आलस्य है सब दोषों की खान । 
घृणा जो करते हैं कभी सुखी ना रहते जान ।। 

दस दोषों के इस रावण का कर लो तुम संहार । 
जिसने ऐसा कर लिया हुआ भवसागर से पार ।। 

प्रेम अमर फल है सदा जीवन से भरपूर । 
जहां प्रेम है वहां सदा खुशियां रहें जरूर ।।

सत्य प्रत्यंचा पर चढे मेहनत का जब तीर । 
मंज़िल पर जाके रुके हर लेता सब पीर ।। 

श्री हरि 
5.10. 22 


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9 Comments

Khan

06-Oct-2022 11:25 PM

Bahut khoob 🙏

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Punam verma

06-Oct-2022 08:21 AM

Nice

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कामा का प्रयोग कहीं कहीं पर छूट गया है चरणों के अंत में sir

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